नमस्कार दोस्तों!
क्या आप जानते हैं कि आपकी किचन में रोज़मर्रा की कुछ छोटी-छोटी आदतें, जो आपको बिल्कुल नॉर्मल लगती हैं, वो आपके परिवार के लिए बड़ी स्वास्थ्य समस्याएँ और अचानक लाखों रुपए के इलाज का खर्च ला सकती हैं?
हम सब चाहते हैं कि हमारे घर का खाना सबसे सुरक्षित हो। लेकिन, कई रिसर्च में ये पता चला है कि किचन की 5 बहुत ही आम चीज़ों को अगर ग़लत तरीक़े से इस्तेमाल किया जाए, तो ये धीरे-धीरे हमारे शरीर को कमज़ोर कर सकती हैं।
ये चीज़ें सीधे बीमारी नहीं करतीं, पर ये ख़तरा (Risk) ज़रूर बढ़ा देती हैं। अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं और ये ₹5 लाख का मेडिकल बिल बचाना चाहते हैं, तो इन 5 आदतों को आज ही बदल लीजिए।
1. प्लास्टिक की बोतलें और डिब्बे
आजकल हर कोई पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतलें और खाना रखने के लिए डिब्बे यूज़ करता है। लेकिन जब इन प्लास्टिक के बर्तनों में गर्म चीज़ें डाली जाती हैं (जैसे गरम पानी या माइक्रोवेव में गरम करना), तो प्लास्टिक में मौजूद छोटे-छोटे केमिकल खाने या पानी में मिल जाते हैं। ये केमिकल हमारे शरीर में जाकर हार्मोन का बैलेंस बिगाड़ सकते हैं, जो लंबे समय में बड़ी बीमारियों का ख़तरा बढ़ाता है।
- बदलाव: प्लास्टिक की जगह स्टील या शीशे (Glass) के बर्तन इस्तेमाल करें।
2. नॉन-स्टिक बर्तनों की ज़्यादा गर्मी
नॉन-स्टिक पैन इसलिए अच्छे होते हैं क्योंकि खाना चिपकता नहीं। पर, जब इन बर्तनों को तेज़ आंच पर खाली ही गर्म किया जाता है, या अगर उन पर खरोंच आ जाए, तो उनकी कोटिंग से खतरनाक धुआँ या कण निकल सकते हैं। ये धुएं और कण स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय हैं।
- बदलाव: जब पैन में खरोंच आ जाए तो उसे तुरंत बदल दें। धीमी या मीडियम आंच पर ही खाना पकाएँ।
3. बार-बार गरम किया गया रिफाइंड तेल
हमारे घरों में एक ही तेल को बार-बार तलने के लिए इस्तेमाल करना बहुत आम है। पर, जब रिफाइंड तेल को बार-बार गरम किया जाता है, तो उसमें हानिकारक ‘फ्री रेडिकल्स’ बन जाते हैं। ये फ्री रेडिकल्स शरीर के सेल्स (कोशिकाओं) को नुक़सान पहुँचाते हैं और सूजन बढ़ाते हैं, जिससे दिल की बीमारियाँ और दूसरी पुरानी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है।
- बदलाव: सरसों या नारियल जैसा कोल्ड-प्रेस्ड (Cold-Pressed) तेल यूज़ करें, और तले हुए तेल को दोबारा इस्तेमाल न करें।
4. खाने में एल्युमीनियम फॉइल का ज़्यादा उपयोग
खाना पैक करने या पकाने के लिए फॉइल पेपर (Aluminum Foil) बहुत इस्तेमाल होता है। पर, अगर आप खट्टी चीज़ें (जैसे टमाटर या नींबू) इसमें लपेटकर पकाते हैं, तो एल्युमीनियम के कण खाने में मिल सकते हैं। शरीर में बहुत ज़्यादा एल्युमीनियम जमा होने से दिमागी और नसों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
- बदलाव: खाने को पैक करने के लिए बटर पेपर या शीशे के डिब्बे का इस्तेमाल करें।
5. प्रोसेस्ड और पैकेटबंद मीट/फ़ूड पर निर्भरता
आजकल प्रोसेस्ड मीट (जैसे पैकेटबंद सॉसेज) और पैकेटबंद खाने का चलन बढ़ गया है। इनमें अक्सर ज़्यादा नमक, ख़राब फ़ैट्स और प्रीजरवेटिव्स होते हैं। स्वास्थ्य संगठन लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि इन्हें ज़्यादा खाने से दिल की बीमारी और पाचन की समस्या का ख़तरा बढ़ जाता है।
- बदलाव: ताज़ी सब्ज़ियां, फल और मीट खाएं। पैकेटबंद और प्रोसेस्ड फ़ूड से बचें।